यह पुस्तक एक युवा और गतिशील महिला की कहानी को उजागर करती है जिसे ब्लड कैंसर हो गया था। यह जानते हुए कि यह एक कठिन रास्ता होगा, वह कैंसर से लड़ने का फैसला करती है, और बहादुरी से लड़ती है । वह अस्पताल के वार्ड में बिताए दिनों का वर्णन करती है जहाँ उसे कीमोथेरेपी मिली थी और फिर वह बोन मैरो ट्रांसप्लांट के दौरान बी.एम.टी. वार्ड में 32 भर्ती रही थी । यह पुस्तक उन कठिन संघर्षों का वर्णन करती है जिनसे ये मरीज़ जूझते हैं । इस पुस्तक में यह भी विस्तार से बताया गया है कि बी.एम.टी. कैसे किया जाता है और बी.एम.टी. प्राप्त करने वाले को किन-किन बातों की जानकारी होनी चाहिए । यह पुस्तक MY 32 DAYS IN BMT WARD का हिंदी अनुवाद है।