"पूर्वोत्तर भारत: विकास के नए आयाम" एक गहन अध्ययन और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने वाली पुस्तक है, जो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास और प्रगति के नए पहलुओं को उजागर करती है। यह पुस्तक पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक विविधता, प्राकृतिक संसाधनों, और आर्थिक संभावनाओं को विस्तार से समझाती है। पुस्तक में इन क्षेत्रों में विकास के लिए आवश्यक नीतिगत सुधार, स्थानीय समुदायों की भूमिका, और सतत विकास के मार्ग पर चर्चा की गई है। इसके साथ ही, यह बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यटन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में विकास के अवसरों को भी रेखांकित करती है। लेखक ने ऐतिहासिक संदर्भों, सरकारी पहलों, और क्षेत्रीय चुनौतियों को समझाते हुए, पूर्वोत्तर भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला है। यह पुस्तक नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, छात्रों, और उन सभी के लिए उपयोगी है जो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में रुचि रखते हैं। "पूर्वोत्तर भारत: विकास के नए आयाम" एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक यात्रा है, जो इस क्षेत्र की समृद्धि और विकास की नई संभावनाओं को दर्शाती है।