कवयित्री मनीषा जैन ने अपने चहुँ ओर बिखरे अनुभवों और अपने प्रियजनों के जीवन से कुछ अमूल्य झलकियां एकत्रित कर इन कविताओं के मनकों को पिरो, 'स्पंदन' रुपी माला का सृजन किया है। अपने प्रथम काव्य संग्रह 'स्पंदन' के द्वारा, इस शीर्षक के अर्थ को साकार कर पाठकों के अंतर्मन को स्पंदित करने का उत्तम प्रयास है। इस संग्रह की कविताएं मानवीय संबंधों के इर्द गिर्द घुमते हुए सरल शब्दों में बहुत कुछ वर्णित कर जाती हैं। प्रकृति के विभिन्न पहलुओं को मानवीय भावनाओं से एक अनोखे रूप में जोड़ती यह कवितायेँ, जीवन के हर परिप्रेक्ष्य को चित्रित करती हैं।