लेखक की यह पुस्तक दुनिया की वृद्धि की समस्या पर नया प्रकाश डालती है और इन समस्याओं के उत्तर खोजती है। यह सरल, बोधगम्य भाषा में है, जो हर विषयक्रमी को पढ़ना चाहिए। इससे अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, भूगोल आदि में रुचि रखने वालों को उपयोगी सिद्ध होगी।
डॉ. विजय सिंह राघव का जन्म 3 मार्च 1957 को उत्तर प्रदेश के बहजोई में हुआ था। उन्होंने एम.जे.पी. रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और कुमाऊं विश्वविद्यालय से पीएचडी की। लगभग 40 वर्षों तक उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत रहने के बाद, वे 2017 में सेवानिवृत्त हुए।