पर्यावरण भारतीय संस्कृति, दर्शन एवं चिंतन का अभिन्न अंग रहा है। आधुनिक युग में प्रकृति की अवमानना एवं पर्यावरण प्रदूषण का प्रतिफल वैश्विक तापमान, प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि, ओजोन परत क्षरण, अम्लीय वर्षा, मरूस्थीलीकरण एवं प्रदूषण आदि रूपों में प्रकट हो रहा है। पिछले कई दशकों में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या तथा प्रबलता में लगातार वृद्धि भविष्य में आने वाले भयावह संकट का संकेत है। पुस्तक की सामग्री पर्यावरणीय एवं प्राकृतिक आपदाओं के वैज्ञानिक पहलुओं और उनके समग्र प्रबंधन पर विशेष रूप से केन्द्रित है। बहुत ही कम समय में भारत ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर ली है। आपदा प्रबंधन एक जटिल विषय है लेकिन इस पुस्तक की भाषा सरल एवं सुगम है। इस पुस्तक ‘‘पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन’’ में पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन के विभिन्न आयामों की तथ्यपरक चर्चा की गयी है। जिस कारण पुस्तक सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।