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Bharat Ki Act East Policy

AKA: भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी
Author(s): Girish Chandra Pande
130

  • Language:
  • Hindi
  • Genre(s):
  • Other Non-fiction
  • ISBN13:
  • 9789355743848
  • ISBN10:
  • 935574384X
  • Format:
  • Ebook
  • Pages:
  • 325
  • Publication date:
  • 08-Dec-2022

Available at

Printed copies available at

इस पुस्तक में भारत की 'लुक ईस्ट' से 'एक्ट ईस्ट' की ओर बढ़ते कदमों और इस दिशा में अब तक प्राप्त उपलब्धियों एवं भविष्य में उठाए जाने वाले उपायों का भी विस्तारपूर्वक उल्लेख किया गया है। इस प्रकार यह पुस्तक उन सभी पाठकों विशेष रूप से विदेश नीति में रुचि रखने वालों और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं के लिए निश्चित तौर पर लाभप्रद और रोचक सिद्ध होगी। इसमें दो राय नहीं कि नब्बे के दशक की भारत की इस यात्रा ने 21वीं सदी तक आते-आते कई महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिए हैं और भारत का आसियान के सभी 10 देशों - ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के साथ सम्बन्धों में उत्तरोत्तर प्रगाढ़ता देखी जा रही है। यहां उल्लेख करना उचित होगा कि 10- सदस्यीय आसियान के साथ सम्बन्धों को मजबूत करने की भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी को तब गति मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बतौर कार्यभार सम्भालने के बाद 2015 में दो अहम क्षेत्रीय बैठकों में शिरकत की और मलेशिया एवं सिंगापुर की यात्रा कर द्विपक्षीय सम्बन्धों को मजबूती प्रदान की। इस सम्बन्ध में 26 जनवरी,2018 को गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विशेष अतिथि बतौर सभी आसियान देशों की भारत में उपस्थिति एक महत्वपूर्ण घटना थी और इस दौरान आसियान देशों के साथ भारत के राजनयिक सम्बन्धों की 25वीं वर्षगांठ यानी रजत जयन्ती भी मनायी गयी। 

‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ बहुपक्षीय जुड़ाव के माध्यम से आर्थिक सहयोग एवं सांस्कृतिक संबंधों को निरंतर बढ़ावा देना और वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में भारत की प्रभावी भूमिका को सुनिश्चित करना है। आसियान देशों के साथ भारत का मुख्य रूप से नौवहन सुरक्षा, स्थायी सामुद्रिक विकास,ब्लू इकोनॉमी, समुद्री डकैती निरोध, प्राकृतिक आपदा राहत, रक्षा, व्यापार, निवेश, विज्ञान और तकनीक,अन्तरिक्ष जैसे और भी कई क्षेत्रों में सहयोग जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आसियान को एक आर्थिक केंद्र मानते हैं और साथ ही इस ब्लॉक के विकास एवं स्थिरता की कामना भी करते हैं। आसियान –भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में बराबर साउथ चाइना सी के क्षेत्रीय और समुद्री विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए चीन की विस्तारवादी नीति की भी अप्रत्यक्ष तौर पर आलोचना की जाती रही है। प्रधानमंत्री आतंकवाद की चुनौतियों और अन्य पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए सूचना और उत्कृष्ट परिपाटियों के आदान- प्रदान को जारी रखने का भी बराबर आह्वान करते रहे हैं। भारत सभी आसियान देशों के लिए इलेक्ट्रॉनिक-वीजा की सुविधा को विस्तार देने का हिमायती भी रहा है। मोदी के अनुसार समुद्र भविष्य की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए यह भविष्य में खाद्य सुरक्षा, दवा और स्वच्छ ऊर्जा का भी स्रोत होगा। मोदी की मौजूदगी में ऐतिहासिक आसियान आर्थिक समुदाय (AEC) घोषणा पर हस्ताक्षर करना नि:सन्देह भारत-आसियान सम्बन्धों में एक मील का पत्थर है। स्मरणीय है कि यह यूरोपीय संघ जैसा ही एक क्षेत्रीय आर्थिक ब्लॉक है, जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्वी एशिया की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को समायोजित करना है। एईसी एक ऐसे एकल बाजार की धारणा रखता है जिसके तहत इस बेहद प्रतिस्पर्धी आर्थिक क्षेत्र में सीमाओं के आर-पार वस्तुओं, पूंजी तथा कुशल श्रम का मुक्त आवागमन हो। इस क्षेत्र का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 24 खरब डॉलर के आसपास है।

Girish Chandra Pande

Girish Chandra Pande

Girish Chandra Pandey came into the world on July 13, 1957, in the picturesque Almora district of Uttarakhand. He pursued higher education, earning his M.A. in both Sociology and Hindi. Throughout his career, he authored five noteworthy books and contributed his insights to the 'Jwalant Mudde' YouTube channel.

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