हिन्दू सनातन धर्म का प्रादुर्भाव सृष्टि के साथ ही हुआ है। यह मनुष्य के सुचारु जीवन और ब्रह्म की प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग प्रतिपादित करता है तथा सृष्टि को बनाने और चलाने वाले ईश्वर का दर्शन कराता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का ज्ञान सिमटा है। यह धर्म पृथ्वी पर मानव जीवन के सिद्धांतों के साथ परलोक का भी वर्णन करता है। श्री सत्यदेव तिवारी ने अपने जीवन भर के अध्ययन, मनन, अनुभव, सत्संग आदि का नवनीत अपने विचार-संग्रह ग्रन्थ 'हिन्दू धर्म - दर्शन और मंथन' में धर्म के मर्म को शोधार्थियों, जिज्ञासुओं व विवेकी सुधि जनों के समक्ष बड़ी तन्मयता और परिश्रम से प्रस्तुत किया है। इसमें हिन्दू सनातन धर्म की पूरी रूप रेखा, संक्षेप में गागर में सागर के तौर पर सरस, सरल और सारगर्भित भाषा में संग्रहित है। यह सभी विचारशील धर्म-मर्मज्ञ जनों से लेकर धर्म विचार करने वाले साधकों के लिए उपयोगी है। यह ग्रन्थ हिन्दू-धर्म का संक्षिप्त किन्तु समग्र दर्शन कराता है तथा धर्म में आयी विकृतियों के विषय में विचार-मंथन करने के लिए बाध्य भी करता है।