मलयालम के जानेमाने उपन्यासकार टी.डी. रामकृष्णन का उपन्यास है ‘‘अंधा, बहरा, मूक’’। इस का हिन्दी अनुवाद है यह। इस में कश्मीर की जनता की असहाय स्थिति का चित्रण है। अपने ही मिट्टी में अन्य बनकर वे “अंधे, बहरे और मूक” बन गये हैं। ‘Citizen Amendment Act’ का नतीजा उपन्यासकार यहाँ चित्रित करता है। विधवाओं और मासूम बच्चों की स्थिति का मार्मिक चित्र हम यहाँ देख सकते हैं। इस में फात्तिमा निलोफर कश्मीर की असहाय स्त्रीयों की प्रतिनिधी हैं।