इस उपन्यास को लिखने का उद्देश्य मात्र इतना है कि जब राजनेता जनता द्वारा सत्ता में चुनकर आते हैं और उन्हैं संविधान की शपथ दिलाई जाती है कि वे निष्पक्ष होकर बिना किसी के साथ भेदभाव किये ईमानदारी से जनता के लिए अच्छी कानून व्यवस्था स्थापित करेंगे ताकि जनता सुख और शांति के साथ अपना जीवन-यापन कर सकें। लेकिन यही राजनेता सत्ता पाकर भ्रष्ट हो जाते हैं और पुलिस उनकी मात्र कठपुतली बनकर रह जाती है तो ऐसी परिस्थिति में आम जन- जीवन भयावह हो जाता है और लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है। जब राजनेता, पुलिस और अपराधी आपस में हाथ मिला लेते हैं तब ये लोकतंत्र भीड़तंत्र में परिवर्तित हो जाता है और निर्दोष जनता खून के आँसू रोती है।