नम्रता एक राष्ट्रीयकृत बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर वाराणसी में कार्यकृत हैं। गुजरात मे जन्मी और वाराणसी से पली बढ़ी है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक तथा IIIT इलाहाबाद से MBA किया है। लिखने का शौक़ तो स्कूल के समय से रहा और कॉलेज में भी अंतर कॉलेज स्पर्धाओं में कई पुरस्कार एवं सम्मान मिला। आज भी इनकी छोटी-बड़ी कवितायें बैंक की स्पर्धाओं, बैंक की मैगज़ीनों में एवं ब्लॉग में आती रहती है। इनकी पिछले दिनों "मयूरम: शब्दों का भींगा नृत्य" किताब छपी और कविताओं की दुनिया मे इनका अनूठा प्रयोग काफी पसंद किया गया। घांस-फूस का बंगला इनकी दूसरी किताब एक आईना है जो सबको वही दिखता है जो देखना चाहता है।